पथ प्रदर्शन: भारतीय दंड संहिता > अध्याय 16: मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के विषय में > जीवन के लिए संकटकारी अपराधों के विषय में > आईपीसी धारा 304
आईपीसी धारा 304: हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानव वध के लिए दण्ड
जो कोई ऐसा आपराधिक मानव वध करेगा, जो हत्या की कोटि में नहीं आता है, यदि वह कार्य जिसके द्वारा मृत्यु कारित की गई है, मृत्यु या ऐसी शारीरिक क्षति, जिससे मृत्यु होना सम्भाव्य है, कारित करने के आशय से किया जाए, तो वह 1आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा ओर जुर्माने से भी दण्डनीय होगा :
अथवा यदि वह कार्य इस ज्ञान के साथ कि उससे मृत्यु कारित करना सम्भाव्य है, किन्तु मृत्यु या ऐसी शारीरिक क्षति, जिससे मृत्यु कारित करना सम्भाव्य है, कारित करने के किसी आशय के बिना किया जाए. तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
- 1870 के अधिनियम सं. 27 की धारा 12 द्वारा अंतःस्थापित ।
-भारतीय दंड संहिता के शब्द
अपराध | सदोष हत्या हत्या की राशि नहीं है, अगर अधिनियम है जिसके द्वारा मौत के कारण होता है मौत के कारण, आदि के इरादे से किया जाता है |
सजा | आजीवन कारावास या 10 साल + जुर्माना |
संज्ञेय | संज्ञेय (गिरफ्तारी के लिए वॉरेंट आवश्यक नही) |
जमानत | गैर जमानतीय |
विचारणीय | सत्र न्यायालय |
समझौता | नही किया जा सकता |
अपराध | यदि कार्य ज्ञान के साथ किया जाता है कि यह मृत्यु का कारण बनने की संभावना है, लेकिन मृत्यु आदि का कारण बनने के किसी भी इरादे के बिना |
सजा | 10 साल या जुर्माना या दोनों |
संज्ञेय | संज्ञेय (गिरफ्तारी के लिए वॉरेंट आवश्यक नही) |
जमानत | गैर जमानतीय |
विचारणीय | सत्र न्यायालय |
समझौता | नही किया जा सकता |
