पथ प्रदर्शन: भारतीय संविधान > भाग 16: कुछ वर्गों के संबंध में विशेष उपबंध > अनुच्छेद 333
अनुच्छेद 333: राज्यों की विधान सभाओं में आंग्ल भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व
अनुच्छेद 170 में किसी बात के होते हुए भी, यदि किसी राज्य के राज्यपाल 1**** की यह राय है कि उस राज्य की विधान सभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व आवश्यक है और उसमें उसका प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है तो वह उस विधान सभा में 2उस समुदाय का एक सदस्य नामनिर्देशित कर सकेगा ।
- 7वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा (1-11-1956 से) “या राजप्रमुख” शब्दों का लोप किया गया ।
- 23वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1969 की धारा 4 द्वारा “उस विधान सभा में उस समुदाय के जितने सदस्य वह समुचित समझे नामनिर्देशित कर सकेगा” के स्थान पर (23-1-1970 से) प्रतिस्थापित ।
-संविधान के शब्द
स्पष्टीकरण (Explanation)
यदि राष्ट्रपति की राय में लोकसभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है तो वह उस समुदाय के अधिक-से-अधिक 2 सदस्यों को लोकसभा में नियुक्त कर सकता है।
इसी प्रकार यदि किसी राज्य का राज्यपाल यह समझता है कि राज्य की विधानसभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है तो वह उस समुदाय के एक सदस्य को विधानसभा में नामजद कर सकता है।
यह आरक्षण संविधान के प्रारम्भ से 10 वर्ष के लिए की गई थी यानी 1960 तक। यह सुविधा अनुच्छेद 334 के अंतर्गत दी गई है।
जिसको बाद में आवश्यकता महसूस होने पर 8वें संशोधन द्वारा 20 वर्ष के लिए बढ़ा दी गई।
ऐसे ही 23वें, 45वें, 62वें, 79वें और 95वें संविधान संशोधन से हर बार इस आरक्षण को 10 सालों के लिए बढ़ाया गया।
अंतिम 95वें संशोधन से 2020 तक आरक्षण था।
संसद ने 126(या 104) वें संविधान संशोधन 2020, से अनुच्छेद 334 में सुधार करके SC और ST समुदाय के लिए ओर दस सालों के लिए लोकसभा एवं राज्य विधान सभा में सिट आरक्षित की है।
लेकिन इस संशोधन में आंग्ल भारतीय समुदाय के लिए इस सुविधा को नही बढ़ाया है ।
मतलब की 2020 के बाद के राष्ट्रपति या राज्यपाल आंग्ल इंडियन समुदाय के व्यक्ति की नियुक्ति नही करेंगे।
आंग्ल भारतीय कोन है?
वह व्यक्ति आंग्ल भारतीय कहलाता है जिसका पिता यूरोपीय हो या उसके पिता के पूर्वज यूरोपीय हो, जिसकी माता भारतीय हो, और वह व्यक्ति भारत में जन्मा हो ऐसे व्यक्तिय आंग्ल भारतीय कहते है।
ऐसे व्यक्ति में भारत और यूरोप (खासकर ब्रिटेन) दोनों के गुण मिलते है।
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